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सरस्वती वंदना SARASWATI VANDANA

 प्रार्थना      हे हंसवाहिनी ज्ञानदायनी अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे॥ जग सिरमौर बनाएँ भारत, वह बल विक्रम दे। वह बल विक्रम दे॥ हे हंसवाहिनी ज्ञानदायिनी अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे॥ साहस शील हृदय में भर दे, जीवन त्याग-तपोमय कर दे, संयम सत्य स्नेह का वर दे, स्वाभिमान भर दे। स्वाभिमान भर दे॥1॥ हे हंसवाहिनी ज्ञानदायिनी अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे॥ लव, कुश, ध्रुव, प्रहलाद बनें हम मानवता का त्रास हरें हम, सीता, सावित्री, दुर्गा माँ, फिर घर-घर भर दे। फिर घर-घर भर दे॥2॥ हे हंसवाहिनी ज्ञानदायिनी अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे॥