शारदा शारदाम्भोजवदना वदनाम्बुजे । सर्वदा सर्वदास्माकं सन्निधिं सन्निधिं क्रियात् ॥ शरत्काल में उत्पन्न कमल के समान मुखवाली और सब मनोरथों को देनेवाली शारदा सब सम्पत्तियों के साथ मेरे मुख में सदा निवास करें ।
किसी की महत्ता मानते हुए श्रद्धापूर्वक उसकी पूजा करने की क्रिया या भाव