आओ भोग लगाओ प्यारे मोहन… भिलनी के बैर सुदामा के तंडुल रूचि रूचि भोग लगाओ प्यारे मोहन… दुर्योधन को मेवा त्यागो साग विदुर घर खायो प्यारे मोहन… जो कोई तुम्हारा भोग लगावे सुख संपति घर आवे प्यारे मोहन… ऐसा भोग लगाओ प्यारे मोहन सब अमृत हो जाये प्यारे मोहन… जो कोई ऐसा भोग को खावे सो त्यारा हो जाये प्यारे मोहन…
किसी की महत्ता मानते हुए श्रद्धापूर्वक उसकी पूजा करने की क्रिया या भाव