सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Mata Kushmanda - माता कूष्माण्डा


या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
About
Kushmanda is the Goddess who has the power and capability to live inside the Sun. The glow and radiance of her body is as luminous as that of the Sun. also known as Ashtabhuja Devi. She also likes Bali of white pumpkin known as Kushmanda (कुष्माण्ड).
Rides (सवारी): Loness(शेरनी)
Hold (अत्र-शस्त्र)
Eight Hands: She has Kamandal, Dhanush, Bada and Kamal in the right hands and Amrit Kalash, Jap Mala, Gada and Chakra in the left hands in that order.
Expression (मुद्रा): Just flashing little bit of her smile.
Assigning Planet (ग्रह): Sun (सूर्य) - Direction and energy provider to the Sun.

नवरात्र से सम्बंधित अन्य आलेख पढ़े 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

नवरात्र

नवरात्र भारतवर्ष में हिंदूओं द्वारा मनाया जाने प्रमुख पर्व है। इस दौरान मां के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। वैसे तो एक वर्ष में चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ के महीनों में कुल मिलाकर चार बार नवरात्र आते हैं लेकिन चैत्र और आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक पड़ने वाले नवरात्र काफी लोकप्रिय हैं। बसंत ऋतु में होने के कारण चैत्र नवरात्र को वासंती नवरात्र तो शरद ऋतु में आने वाले आश्विन मास के नवरात्र को शारदीय नवरात्र भी कहा जाता है। चैत्र और आश्विन नवरात्र में आश्विन नवरात्र को महानवरात्र कहा जाता है। इसका एक कारण यह भी है कि ये नवरात्र दशहरे से ठीक पहले पड़ते हैं दशहरे के दिन ही नवरात्र को खोला जाता है। नवरात्र के नौ दिनों में मां के अलग-अलग रुपों की पूजा को शक्ति की पूजा के रुप में भी देखा जाता है। मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्रि मां के नौ अलग-अलग रुप हैं। नवरात्र के पहले दिन घटस्थापना की जाती है। इसके बाद लगातार नौ दिनों तक मां की पूजा व उपवास किया जाता है। दसवें दिन कन्या पूजन के पश्चात उ...

Mahashivratri katha-2

भगवान शिव ने केतकी का फूल का  पूजा से किए त्याग क्यों किया ? शिवरात्रि हर माह के कृष्ण पक्ष कि चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है, किन्तु फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। एक बार भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी कौन बड़ा और कौन छोटा है, इस बात का फैसला कराने के लिए भगवान शिव के पास पहुंचे। इस पर भगवान शिव ने एक शिवलिंग को प्रकट कर उन्हें उसके आदि और अंत पता लगाने को कहा। उन्होंने कहा जो इस बात का उत्तर दे देगा वही बड़ा है। इसके बाद विष्णु जी उपर की ओर चले और काफी दूर तक जाने के बाद पता नहीं लगा पाए। उधर ब्रह्मा जी नीचे की ओर चले और उन्हें भी कोई छोर न मिला। नीचे की ओर जाते समय उनकी नजर केतकी के पुष्प पर पड़ी, जो उनके साथ चला आ रहा था। उन्होंने केतकी के पुष्प को भगवान शिव से झूठ बोलने के लिए मना लिया। जब ब्रह्मा जी ने भगवान शिव से कहा कि मैंने पता लगा लिया है और केतकी के पुष्प से झूठी गवाही भी दिलवा दी तो त्रिकालदर्शी शिव ने ब्रह्मा जी और केतकी के पुष्प का झूठ जान लिया। उसी समय उन्होंने न सिर्फ ब्रह्मा जी के उस सिर को काट दिया जिसने...

बजरंगबली के अचूक व प्रभावी मंत्र

 आदिदेव नमस्तुभ्यं सप्तसप्ते दिवाकर | त्वं रवे तारय स्वास्मानस्मात्संसार सागरात || बार-बार परेशानी व कार्यों में रुकावट हो तो हनुमानजी के मंदिर में जाकर गुड एवं चने का प्रसाद चढ़ाना चाहिए। उस प्रसाद को वहीं मंदिर में ही बांट देना चाहिए। ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय विश्वरूपाय अमित विक्रमाय प्रकटपराक्रमाय महाबलाय सूर्य कोटिसमप्रभाय रामदूताय स्वाहा।। अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहम् दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् | सकलगुणनिधानं वानराणामधीशम् रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि || Hanuman ji Dhyan Ka Mantra ॐ ऐं ह्रीं हनुमते श्री रामदूताय नमः Om Aim Hreem Hanumate, Shri Ram Dootaaya Namah यश-कीर्ति के लिए हनुमान मंत्र ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय विश्वरूपाय अमितविक्रमाय प्रकट-पराक्रमाय महाबलाय सूर्यकोटिसमप्रभाय रामदूताय स्वाहा। शत्रु पराजय के लिए- ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय रामसेवकाय रामभक्तितत्पराय रामहृदयाय लक्ष्मणशक्ति भेदनिवावरणाय लक्ष्मणरक्षकाय दुष्टनिबर्हणाय रामदूताय स्वाहा। 3. शत्रु पर विजय तथा वशीकरण के लिए- ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय सर्वशत्रुसंहरणाय सर्वरोगहराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाह...