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Neel Sarswati Strota | नील सरस्वती स्तोत्र

नील सरस्वती स्तोत्र


घोररूपे महारावे सर्वशत्रुभयंकरि ।
भक्तेभ्यो वरदे देवि त्राहि मां शरणागतम् ।।1।।

ॐ सुरासुरार्चिते देवि सिद्धगन्धर्वसेविते ।
जाड्यपापहरे देवि त्राहि मां शरणागतम् ।।2।।

जटाजूटसमायुक्ते लोलजिह्वान्तकारिणि ।
द्रुतबुद्धिकरे देवि त्राहि मां शरणागतम् ।।3।।

सौम्यक्रोधधरे रूपे चण्डरूपे नमोSस्तु ते ।
सृष्टिरूपे नमस्तुभ्यं त्राहि मां शरणागतम् ।।4।।

जडानां जडतां हन्ति भक्तानां भक्तवत्सला ।
मूढ़तां हर मे देवि त्राहि मां शरणागतम् ।।5।।

वं ह्रूं ह्रूं कामये देवि बलिहोमप्रिये नम: ।
उग्रतारे नमो नित्यं त्राहि मां शरणागतम् ।।6।।

बुद्धिं देहि यशो देहि कवित्वं देहि देहि मे ।
मूढत्वं च हरेद्देवि त्राहि मां शरणागतम् ।।7।।

इन्द्रादिविलसदद्वन्द्ववन्दिते करुणामयि ।
तारे ताराधिनाथास्ये त्राहि मां शरणागतम् ।।8।।

अष्टभ्यां च चतुर्दश्यां नवम्यां य: पठेन्नर:।
षण्मासै: सिद्धिमाप्नोति नात्र कार्या विचारणा ।।9।।

मोक्षार्थी लभते मोक्षं धनार्थी लभते धनम् ।
विद्यार्थी लभते विद्यां विद्यां तर्कव्याकरणादिकम ।।10।।

इदं स्तोत्रं पठेद्यस्तु सततं श्रद्धयाSन्वित: ।
तस्य शत्रु: क्षयं याति महाप्रज्ञा प्रजायते ।।11।।

पीडायां वापि संग्रामे जाड्ये दाने तथा भये ।
य इदं पठति स्तोत्रं शुभं तस्य न संशय: ।।12।।

इति प्रणम्य स्तुत्वा च योनिमुद्रां प्रदर्शयेत ।।13।।
।।इति नीलसरस्वतीस्तोत्रं सम्पूर्णम्।।

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