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मयूरेश स्तोत्र

  • मयूरेश स्तोत्र: परिवार की सुख-शांति, मानसिक परेशानी, समृद्धि और चारों ओर प्रगति, चिंता, रोग निवारण, भोग एवं मोक्ष  के लिए
  • मयूरेश स्तोत्र का पाठ किसी भी चतुर्थी तिथि से कर सकते हैं। 
  • अंगारक चतुर्थी पर मयूरेश स्तोत्र पढ़ने से इसका फल सहस्त्र गुना बढ़ जाता है।  


ब्रह्मा उवाच

पुराणपुरुषं देवं नानाक्रीडाकरं मुदा । मायाविनं दुर्विभाव्यं मयूरेशं नमाम्यहम् ॥ १ ॥

परात्परं चिदानन्दं निर्विकारं हृदि स्थितम् । गुणातीतं गुनमयं मयूरेशं नमाम्यहम् ॥ २ ॥

सृजन्तं पालयन्तं च संहरन्तं निजेच्छया । सर्वविघ्नहरं देवं मयूरेशं नमाम्यहम् ॥ ३ ॥

नानादैत्यनिहन्तारं नानारुपाणि बिभ्रतम् । नानायुधधरं भक्त्या मयूरेशं नमाम्यहम् ॥ ४ ॥

इन्द्रादिदेवतावृन्दैरभिष्टुतमहर्निशम् । सदसद्व्यक्तमव्यक्तं मयूरेशं नमाम्यहम् ॥ ५ ॥

सर्वशक्तिमयं देवं सर्वरुपधरं विभुम् । सर्वविद्याप्रवक्तारं मयूरेशं नमाम्यहम् ॥ ६ ॥

पार्वतीनन्दनं शम्भोरानन्दपरिवर्धनम् । भक्तानन्दकरं नित्यं मयूरेशं नमाम्यहम् ॥ ७ ॥

मुनिध्येयं मुनिनुतं मुनिकामप्रपुरकम् । समष्टिव्यष्टिरुपं त्वां मयूरेशं नमाम्यहम् ॥ ८ ॥

सर्वाज्ञाननिहन्तारं सर्वज्ञानकरं शुचिम् । सत्यज्ञानमयं सत्यं मयूरेशं नमाम्यहम् ॥ ९ ॥

अनेककोटिब्रह्माण्डनायकं जगदीश्र्वरम् । अनन्तविभवं विष्णुं मयूरेशं नमाम्यहम् ॥ १० ॥


मयूरेश उवाच

इदं ब्रह्मकरं स्तोत्रं सर्वपापप्रनाशनम् । सर्वकामप्रदं नृणां सर्वोपद्रवनाशनम् ॥ ११ ।

कारागृहगतानां च मोचनं दिनसप्तकात् । आधिव्याधिहरं चैव भुक्तिमुक्तिप्रदं शुभम् ॥ १२॥


॥ इति श्रीमयूरेशस्तोत्रं संपूर्णम् ॥

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