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बजरंगबली के अचूक व प्रभावी मंत्र

  1.  आदिदेव नमस्तुभ्यं सप्तसप्ते दिवाकर | त्वं रवे तारय स्वास्मानस्मात्संसार सागरात ||
  2. बार-बार परेशानी व कार्यों में रुकावट हो तो हनुमानजी के मंदिर में जाकर गुड एवं चने का प्रसाद चढ़ाना चाहिए। उस प्रसाद को वहीं मंदिर में ही बांट देना चाहिए।
  3. ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय विश्वरूपाय अमित विक्रमाय प्रकटपराक्रमाय महाबलाय सूर्य कोटिसमप्रभाय रामदूताय स्वाहा।।
  4. अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहम् दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् | सकलगुणनिधानं वानराणामधीशम् रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि ||


      Hanuman ji Dhyan Ka Mantra

        ॐ ऐं ह्रीं हनुमते श्री रामदूताय नमः
          Om Aim Hreem Hanumate, Shri Ram Dootaaya Namah

            यश-कीर्ति के लिए हनुमान मंत्र

              ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय विश्वरूपाय अमितविक्रमाय प्रकट-पराक्रमाय महाबलाय सूर्यकोटिसमप्रभाय रामदूताय स्वाहा।

                शत्रु पराजय के लिए-

                  ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय रामसेवकाय रामभक्तितत्पराय रामहृदयाय लक्ष्मणशक्ति भेदनिवावरणाय लक्ष्मणरक्षकाय दुष्टनिबर्हणाय रामदूताय स्वाहा।
                    3. शत्रु पर विजय तथा वशीकरण के लिए-
                      ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय सर्वशत्रुसंहरणाय सर्वरोगहराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।
                        4. सर्वदुःख निवारणार्थ - श्री हनुमान मंत्र
                          ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय आध्यात्मिकाधिदैवीकाधिभौतिक तापत्रय निवारणाय रामदूताय स्वाहा।
                            5. सर्वरुपेण कल्याणार्थ-
                              ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय देवदानवर्षिमुनिवरदाय रामदूताय स्वाहा।
                                6. धन-धान्य आदि सम्पदाप्राप्ति के लिए-
                                  ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय भक्तजनमनः कल्पनाकल्पद्रुमायं दुष्टमनोरथस्तंभनाय प्रभंजनप्राणप्रियाय महाबलपराक्रमाय महाविपत्तिनिवारणाय पुत्रपौत्रधनधान्यादिविधिसम्पत्प्रदाय रामदूताय स्वाहा।
                                    7. स्वरक्षा के लिए-
                                      ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय वज्रदेहाय वज्रनखाय वज्रमुखाय वज्ररोम्णे वज्रदन्ताय वज्रकराय वज्रभक्ताय रामदूताय स्वाहा।
                                        8. सर्वव्याधि व भय दूर करने के लिए-
                                          ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय परयन्त्रतन्त्रत्राटकनाशकाय सर्वज्वरच्छेदकाय सर्वव्याधिनिकृन्तकाय सर्वभयप्रशमनाय सर्वदुष्टमुखस्तंभनाय सर्वकार्यसिद्धिप्रदाय रामदूताय स्वाहा।
                                            9. भूत-प्रेत बाधा निवारणार्थ -
                                              ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय देवदानवयक्षराक्षस भूतप्रेत पिशाचडाकिनीशाकिनीदुष्टग्रहबन्धनाय रामदूताय स्वाहा।
                                                10. शत्रु संहार के लिए श्री हनुमान मंत्र
                                                  ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय पच्चवदनाय पूर्वमुखे सकलशत्रुसंहारकाय रामदूताय स्वाहा।
                                                    11. भूत-प्रेत के दमन के लिए-
                                                      ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय पच्चवदनाय दक्षिणमुखेय करालवदनाय नारसिंहाय सकलभूतप्रेतदमनाय रामदूताय स्वाहा।

                                                        सकल विघ्न निवारण के लिए - श्री हनुमान मंत्र
                                                        हनुमान जी के सर्व कार्य सिद्धि मंत्र

                                                           ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय पच्चवदनाय पश्चिममुखे गरुडाय सकलविघ्ननिवारणाय रामदूताय स्वाहा

                                                          सकल सम्पत के लिए-

                                                            ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय पच्चमुखाय उत्तरमुखे आदिवराहाय सकलसम्पत्कराय रामदूताय स्वाहा।

                                                              सकल वशीकरण के लिए-

                                                                ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय ऊर्ध्वमुखे हयग्रीवास सकलजन वशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।

                                                                  शत्रु की कुबुद्धि को ठीक करने के लिए-

                                                                    ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय सव्रग्रहान् भूतभविष्यद्वर्तमानान् समीपस्थान सर्वकालदुश्टबुद्धीनुच्चाटयोच्चाटय परबलानि क्षोभय क्षोभय मम सर्वकार्याणि साधय साधय स्वाहा।

                                                                      सर्वविघ्न व ग्रहभयनिवारणार्थ -

                                                                        ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय परकृतयन्त्रमन्त्र पराहंकार भूतप्रेत पिशाचपरदृष्टिसर्वविघ्नतर्जनचेटकविद्यासर्वग्रहभयं निवारय निवारय स्वाहा।

                                                                          जादू टोना का असर दूर करने के लिए-

                                                                            ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय डाकिनीशाकिनीब्रह्मराक्षसकुल पिशाचोरुभयं निवारय निवारय स्वाहा।

                                                                              ज्वर दूर करने के लिए-

                                                                                ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय भूतज्वरप्रेतज्वरचातु
                                                                                  र्थिकज्वर विष्णुज्वरमहेशज्वरं निवारय निवारय स्वाहा।

                                                                                    शारीरिक वेदन कष्टनिवृत्ति के लिए-

                                                                                      ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय अक्षिशूलपक्षशूल शिरोऽभ्यन्तर शूलपित्तशूलब्रह्मराक्षसशूलपिशाचकुलच्छेदनं निवारय निवारय स्वाहा।

                                                                                        प्रेत बाधा निवारणके लिए-

                                                                                          ऊँ दक्षिणमुखाय पंचमुखहनुमते करालवदनाय नारसिंहाय ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रौं ह्रः सकलभूतप्रेतदमनाय स्वाहा।

                                                                                            विष उतारने के लिए- श्री हनुमान मंत्र

                                                                                              ऊँ पश्चिममुखाय गरुडाननाय पंचमुखहनुमते मं मं मं मं मं सकलविषहराय स्वाहा।

                                                                                                शत्रु संकट निवारणके लिए-

                                                                                                  ऊँ पूर्वकपिमुखाय पंचमुखहनुमते टं टं टं टं टं सकल शत्रुसंहरणाय स्वाहा।

                                                                                                    महामारी, अमंगल, ग्रह-दोष एवं भूत-प्रेतादि नाश के लिए-

                                                                                                      ऊँ ऐं श्रीं ह्रां ह्रीं ह्रं ह्रौं ह्रः ऊँ नमो भगवते महाबलाय-पराक्रमाय भूतप्रेतपिशाचीब्रह्मराक्षसशाकिनीडाकिनीयक्षिणी पूतनामा-रीमहामारीराक्षसभैरववेतालग्रहराक्षसादिकान् क्षणेन हन हन भंजन भंजन मारय मारय शिक्षय शिक्षय महामाहेश्वररुद्रावतार ऊँ ह्रं फट् स्वाहा।
                                                                                                        ऊँ नमो भगवते हनुमदाख्याय रुद्राय सर्वदुष्टजनमुखस्तम्भनं कुरु कुरु स्वाहा। ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रं ठं ठं ठं फट् स्वाहा।

                                                                                                          नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने का श्री हनुमान मंत्र

                                                                                                            ॐ हं हनुमत्ये नमो नमः
                                                                                                              श्री हनुमत्ये नमो नमः
                                                                                                                जय जय हनुमत्ये नमो नमः
                                                                                                                  श्री राम दुताय नमो नमः ||


                                                                                                                        Hanuman Ji Ke Dwadash Naam Mantra

                                                                                                                           आनंद रामायण में हनुमान जी के 12 नाम बताये गए है |
                                                                                                                            हनुमान
                                                                                                                              अंजनीसुत
                                                                                                                                वायुपुत्र
                                                                                                                                  महाबल
                                                                                                                                    रामेष्ट
                                                                                                                                      फाल्गुनसखा
                                                                                                                                        पिंगाक्ष
                                                                                                                                          अमितविक्रम
                                                                                                                                            उदधिक्रमण
                                                                                                                                              सीताशोकविनाशन
                                                                                                                                                लक्षमणप्राणदाता
                                                                                                                                                  दशग्रीवदर्पहा

                                                                                                                                                    भगवान बजरंग बली जी की यह छोटी सी स्तुति नित्य पढ़िए प्रभु की कृपा से सदा मंगल होगा

                                                                                                                                                      दोहा :
                                                                                                                                                        उर प्रतीति दृढ़, सरन ह्वै, पाठ करै धरि ध्यान।
                                                                                                                                                          बाधा सब हर, करैं सब काम सफल हनुमान॥
                                                                                                                                                            हनुमानञ्जनी सूनुर्वायुपुत्रो महाबल:।
                                                                                                                                                              रामेष्ट: फाल्गुनसख: पिङ्गाक्षोमितविक्रम:।।
                                                                                                                                                                उदधिक्रमणश्चैव सीताशोकविनाशन:।
                                                                                                                                                                  लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा।।
                                                                                                                                                                    एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मन:।
                                                                                                                                                                      स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च य: पठेत्।।
                                                                                                                                                                        तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भवेत्।।

                                                                                                                                                                            जय जय सिताराम, जय जय बजरंग बली, नम: पार्वती पते हर हर महादेव
                                                                                                                                                                              प्रभु श्री राम के प्रति अपनी अगाध श्रद्धा भक्ति से ही हनुमान जी को अष्टसिद्धियों और नवनिधियों का वरदान मिला है |
                                                                                                                                                                                ये वही अष्टसिद्धियां और नव निधियां हैं जो कलयुग में हनुमान जी के भक्तो के कल्याण का काम करती हैं |
                                                                                                                                                                                  कलयुग में राम भक्त हनुमान के द्वादश यानि बारह नामों का स्मरण किया जाये तो सारी तकलीफें, समस्याएं, व्याधियों का नाश हो जाता है और जीवन में सब मंगलमय होगा |
                                                                                                                                                                                    हनुमान जी अपने भक्त की हर संकट से रक्षा करते है | इसलिए इनका नाम संकटमोचन भी है |
                                                                                                                                                                                      रामचरित मानस में भी इस बात को लिखा हुआ है कि कलयुग केवल नाम अधारा सुमरि-सुमरि नर उतरहीं पारा और यह भी माना जाता है कि कलयुग में हनुमान ही सबसे बड़े और प्रभावशाली देवता हैं |
                                                                                                                                                                                        उनका नाम सुमिरन करने से ही भक्तो के सारे काम बन जाएंगे | मनोकामना पूर्ति के लिए इन बारह नामों का नित्य प्रात नौ बार जाप करना चाहिए.


                                                                                                                                                                                        टिप्पणियाँ

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