What is Pitri Dosha ?
पितृ दोष पूर्वजों की एक कार्मिक ऋण है और ग्रहों के संयोजन के रूप में जन्म कुंडली में परिलक्षित होता है। यह पूर्वजों की उपेक्षा के कारण भी होता है और श्राद्ध या दान या आध्यात्मिक उत्थान का यथोचित प्रबंध न करने के कारण भी पितृ दोष हो सकता है।
Effects
पितृ दोष के प्रभाव निम्नलिखित है -
पितृ दोष से परिवार में प्रतिकूल वातावरण पैदा होती हैं।
यह शादी में देरी होने और असफल विवाह में भी कारण होती है ।
पितृ दोष भी परिवार में दुर्घटनाओं या अवांछित घटनाओं का कारण बन सकता है।
इसके साथ शिक्षा के क्षेत्र में देरी या अवरोधों को पैदा कर सकता है या आपको कभी न खत्म होने वाला कर्ज जैसी परिस्थिति में पहुंचा सकता है ।
विरासत में मिला रोग और लम्बी बीमारी पितृ दोष के बुरे प्रभावों में से एक है।
Remedies
पितृ दोष शांत करने के उपाय निम्नलिखित है -
अपने माता -पिता , भाई-बहन की हरसंभव सेवा करे।
पीपल और बरगद के वृक्ष की पूजा करने से पितृ दोष की शान्ति होती है या पीपल का पेड़ किसी नदी के किनारे लगायें और पूजा करें, इसके साथ ही सोमवती अमावस्या को दूध की खीर बना, पितरों को अर्पित करने से भी इस दोष में कमी होती है या फिर प्रत्येक अमावस्या को एक ब्राह्मण को भोजन कराने व दक्षिणा वस्त्र भेंट करने से पितृ दोष कम होता है
प्रत्येक अमावस्या को कंडे की धूनी लगाकर उसमें खीर का भोग लगाकर दक्षिण दिशा में पितरों का आव्हान करने व उनसे अपने कर्मों के लिये क्षमायाचना करने से भी लाभ मिलता है
पितृ दोष निवारण हेतु पितृ पक्ष में त्रिपिंडी श्राद्ध करें।
ऊँ नवकुल नागाय विद्महे विषदंताय धीमहि तन्नो सर्प प्रचोदयात् – ”की एक रुद्राक्ष माला जप प्रतिदिन करें।
घर एवं कार्यालय, दुकान पर मोर पंख लगावें।
शनि के दिन ताजी मूली का दान करें। कोयले, बहते जल में प्रवाहित करें।
सोमवती अमावस्या के दिन पितृ दोष निवारण पूजा करने से भी पितृ दोष में लाभ मिलाता है
सूर्योदय के समय किसी आसन पर खड़े होकर सूर्य को निहारने, उससे शक्ति देने की प्रार्थना करने और गायत्री मंत्र का जाप करने से भी सूर्य मजबूत होता है
भगवान शंकर की प्रतिदिन पूजा एवं आराधना करने से भी पितृ दोष की शांति होती है।
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