The importance of the seventh chapter of Srimad Bhagavad Gita for liberation from Pitra Dosha | पितृ दोष से मुक्ति के लिए
पितृ दोष से मुक्ति के लिए श्रीमद् भगवद गीता के सातवें अध्याय का महत्व:
श्रीमद् भगवद गीता के सातवें अध्याय में पितृ दोष से मुक्ति का रहस्य छिपा है।
जब हम श्राद्ध, तर्पण या पिंडदान नहीं कर पाते हैं, तब भी हम गीता के सातवें अध्याय का पाठ करके अपने पितरों को प्रसन्न कर सकते हैं।
इस अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि जो मुझे भजता है और मेरे भक्त हैं, मैं उनकी रक्षा करता हूँ और उन्हें सभी पापों एवं दोषों से मुक्ति दिलाता हूँ।
अतः पितृ दोष से मुक्ति के लिए सातवें अध्याय का पाठ अत्यंत लाभदायक है। एक ब्राह्मण से इसका पाठ करवाने से भी फल मिलता है।
श्राद्ध या पिंडदान न होने पर भी गीता के इस अध्याय का पाठ हमारे पूर्वजों को शांति देता है और हमें पितृ दोष से मुक्त करता है।
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